नबाब सिराजुद्दौला कौन था । sirajuddaula kaun tha

Sirajuddaula kaun tha:ब्रिटिशकालीन भारत के प्रान्तों में बंगाल सबसे समृद्ध था। इसमें आधुनिक पश्चिम बंगाल, सम्पूर्ण बांग्लादेश, उड़ीसा एवं बिहार शामिल थे। बंगाल का प्रथम स्वतंत्र शासक मुर्शीदकुली खा था। इसने भूमि बन्दोबस्त में “इजारदारी प्रथा” शुरू की। बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला से पूर्व अलीवर्दी खाँ ही बंगाल का एकमात्र ऐसा नवाब था जिसने अंग्रेजों व फ्रांसीसियों की गतिविधियों को नियंत्रित करते हुए कलकत्ता व चंद्रनगर की किलेबंदी के सुदृढ़ीकरण का विरोध किया।

सिराजुद्दौला

ये 1756 में बंगाल का नवाब बना। अंग्रेजों से इसके सम्बन्ध प्रारम्भ से ही कड़वाहट भरे थे। कलकत्ता पर अधिकार करने हेतु 1756 में हुए आक्रमण का नेतृत्व नवाब सिराजुद्दौला ने स्वयं किया। 20 जून, 1756 को नवाब ने कलकत्ता में अंग्रेजों के मुख्यालय फोर्ट विलियम पर अधिकार कर लिया।

“20 जून, 1756 को फोर्ट विलियम के पतन के बाद नवाब सिराजुद्दौला ने बंदी बनाये गए 146 अंग्रेजों को एक छोटे कमरे में कैद कर दिया। अगले दिन इन कैदियों में मात्र 23 ही जीवित बचे रह गए थे।” अंग्रेज अधिकारी हालवेल द्वारा दिया गया यह विवरण (यद्यपि इसकी सत्यता संदिग्ध है)। इतिहास में ‘ब्लैक होल की घटना’ या ‘काल कोठरी त्रासदी’ के नाम से जानी जाती है।

 

कलकत्ता पर पुनः अधिकार करने हेतु क्लाइव तथा वाटसन के नेतृत्व में एक सेना बंगाल पहुँची। अंग्रेजों ने कलकत्ता पर पुनः अधिकार कर लिया। क्लाइव के बढ़ते हुए प्रभाव से भयभीत होकर सिराजुद्दौला ने क्लाइव से संधि कर ली। अलीनगर की इस संधि से अंग्रेजों के क्षेत्राधिकार तथा विशेषाधिकार पुनः स्थापित हो गए। सिराजुद्दौला की कमजोर स्थिति को अपने लिए एक सुअवसर मानते हुए अंग्रेजों ने नवाब की गद्दी पर एक कठपुतली शासक बैठाने की कोशिश प्रारम्भ कर दी। नवाब के प्रमुख अधिकारियों के नवाब से असंतुष्ट होने के कारण अंग्रेज इस कोशिश में सफल भी हो गये। क्लाइव ने एक धनी व्यापारी अमीचंद के माध्यम से नवाब के सेनापति मीर जाफर तथा एक अन्य अधिकारी राय दुर्लभ तथा एक बैंकर जगत सेठ के साथ षड्यंत्र की योजना तैयार की जिसकी परिणति प्लासी के युद्ध के रूप में हुई।

 

प्लासी का युद्ध तथा मीर जाफर की स्थिति

प्लासी (वर्तमान नाम पलाशी) के युद्ध का मैदान आधुनिक पश्चिम बंगाल प्रान्त के नदिया जिले में भागीरथी नदी के किनारे स्थित है। प्लासी का युद्ध भारत उन चुनिंदा युद्धों में से एक है जिसे यदि भारत के सन्दर्भ में “राजनीतिक युग परिवर्तन” लाने का श्रेय दिया जाए तो अतिशयोक्ति न होगी।

23 जून, 1757 को हुए इस युद्ध में नवाब की सेना का नेतृत्व तीन राजद्रोहियों मीरजाफर, राय दुर्लभ तथा यारलतीफ ने किया। युद्ध में नवाब की पराजय हुई तथा अन्ततः नवाब की हत्या कर दी गई। षड्यंत्र की योजना के अनुसार ‘मीर जाफर’ को बंगाल का नवाब बना दिया गया और अंग्रेजों को “चौबीस परगना” नामक क्षेत्र की जमींदारी तथा मोटी रकम पुरस्कार स्वरूप मिली।

 

प्लासी का युद्ध एक गहरे षड्यंत्र व अव्यवस्थित युद्ध से अधिक कुछ नहीं था लेकिन इसका परिणाम संसार की बहुत सी बड़ी से बड़ी लड़ाइयों के परिणाम से भी ज्यादा महत्वपूर्ण था। इससे बंगाल पर अंग्रेजों की